उक्त दिनांक को ही कुमारी जयमाला के बयान धारा-164 जाब्ता फौजदारी के न्यायालय में अंकित हुए।
5.
उक्त दिनांक को ही कुमारी जयमाला को धारा-164 जाब्ता फौजदारी के बयान कराने हेतु न्यायिक मजिस्टेट, उत्तरकाशी के न्यायालय में पेश किया।
6.
भारतीय दंड प्रक्रिया (जाब्ता फौजदारी) संहिता इस संहिता की धारा 125 में भरण-पोषण (खर्चा-पानी) देने बावत प्रावधान है।
7.
स्टेशन अफ़सर से मैंने पूछा तो उन्होंने बताया कि जाब्ता फौजदारी की धारा 827 लगायी है, सरकारी मक़सद से लगायी किसी चीज़ को नुकसान पहुँचाना.
8.
गवाह को धारा-164 जाब्ता फौजदारी का बयान पढ़कर सुनाया गया, जिसे सुनकर गवाह ने कहा कि मैंने यह बयान एस. डी. एम. पुरोला के समक्ष दिया था, जिसे उन्होंने मुझे पढ़कर नहीं सुनाया।
9.
दिनांक-26. 11.2008 को कुमारी निर्मला के धारा-164 जाब्ता फौजदारी के बयान दर्ज करने हेतु न्यायिक मजिस्टेट, पुरोला को प्रार्थना पत्र दिया, जिसकी प्रति पत्रावली पर है और यह मेरे लेख व हस्ताक्षरों में प्रदर्श-क-16 है।
10.
वह इस प्रकार थाः जाब्ता फौजदारी की दफा 144 के अनुसार दी हुई आज्ञा का स्पष्ट अनादर करने का गंभीर कदम मुझे क्यों उठाना पड़ा? इस विषय में छोटा-सा बयान अदालत की इजाजत से देना चाहता हूं।